प्रयागराज माघ मेला क्यों है महत्वपूर्ण | Kumbh Me Kalpwas Ka Mahatwa | Magh Mela 2022 Prayagraj UP

प्रयागराज माघ मेला क्यों है महत्वपूर्ण | Kumbh Me Kalpwas Ka Mahatwa | Magh Mela 2022 Prayagraj UP

आपने 12 महीने ऋषि-मुनियों को तपस्या करते हुए देखा होगा, पर क्या आपको पता है कि सांसारिक व्यक्ति भी 1 महीने के लिए तपस्वी बन सकता है। इस प्रक्रिया को कल्पवास कहा जाता है, आपने कुंभ के दौरान इस शब्द को कहीं बार अखबारों या किसी के मुख से सुना होगा पर अगर आप इस के अर्थ को नहीं जानते हैं तो यह कहानी आपके लिए ही है।

कल्पवास एक छोटे से शब्द के पीछे सांसारिक जीवन को त्याग कर ईश्वर से जुड़ने की एक प्रक्रिया और अध्यात्म से जुड़ने का जरिया है। कल्पवास पौष महीने के 11 वें  दिन से शुरू होकर माघ महीने के 12 वें दिन तक रहता है। यह तकरीबन 1 महीने का रहता है। ज्यादातर लोग माघ पूर्णिमा तक कल्पवास करते हैं। माघ महीने में उज्जैन, नाशिक, हरिद्वार, प्रयाग और ऐसी कई धार्मिक जगहो की पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व कहीं गुना है, ऐसा माना जाता है किन इन नदियों में स्नान करने से पुण्य कई गुना बढ़ जाते हैं और इसी माह प्रयागराज में संगम किनारे कल्पवास करने का विधान भी रहता है। तीर्थों के राजा प्रयागराज में हर साल मिनी कुंभ लगता है जिसे हम माघ मेला के नाम से भी जानते हैं। इस मेले में लाखों की संख्या में लोग कल्पवास करने पहुंचते हैं।

Kumbh Me Kalpwas Ka Mahatwa

कल्पवास का अर्थ है संगम के तट पर निवास करते हुए वेदों का अध्ययन कर सत्संग और ध्यान में मगन रहना और अपने जीवन में संयम और नियंत्रण को शामिल करना। प्रयागराज में कल्पवास की परंपरा आदि काल से चली आ रही है। पौष की पूर्णिमा से ही श्रद्धालु 1 महीने के लिए तपस्वी बन जाते हैं। कल्पवास के नियम को साधने वाले को कल्पवासी कहा जाता है। कुछ लोग मकर संक्रांति से भी कल्पवास धारण करते हैं। पदम पुराण में महर्षि दत्तात्रेय ने कल्पवास के नियमों के बारे में विस्तार से उल्लेख किया है- उनके अनुसार कल्पवासी के लिए 21 नियम होते हैं, जिनका उन्हें पालन करना चाहिए- ब्रह्माचार्य का पालन, व्यसनों का त्याग, सभी प्राणियों पर दयाभाव, सूर्योदय से पूर्व शैय्या त्याग, नित्य तीन बार सुरसरि- स्नान, सत्य वचन, अहिंसा,  इंद्रियों का शमन त्रिकालसंध्या, पितरों का पिंडदान, दान, जप, सत्संग क्षेत्र सन्यास अर्थात संकलित क्षेत्र के बाहर ना जाना, परनिंदा त्याग, अग्नि सेवन ना करना, व्रत एवं उपवास, देव पूजन, सत्संग, साधू सन्यासियों की सेवा जप एवं कीर्तन और एक समय पर भोजन करना। ऐसा कहा जाता है कि सूर्य की मकर राशि में प्रवेश करने के साथ शुरू होने वाले 1 मास के कल्पवास से एक कल्प अर्थात ब्रह्मा के 1 दिन में का पुण्य मिलता है।



1 माह तक चलने वाले कल्पवास के दौरान कल प्रवासी की दिनचर्या इस प्रकार रहती है वह ऋषि मुनियों की तरह खुद की बनाई कुटी में रहता है, जल्दी उठकर स्नान करता है, नंगे पाव यात्रा करता हैं, फलाहार या एक समय का आहार या निराहार रहता है और नियम अनुसार तीन समय गंगा में स्नान कर पूरी तरह से ईश्वर को समर्पित होकर भजन कीर्तन, प्रभु चर्चा और प्रभु लीला का दर्शन करता है। परंपरा के अनुसार कल्पवास की शुरुआत करने के बाद इसे 12 वर्षों तक जारी रखना चाहिए, हालांकि आप इसे इच्छाअनुसार बढ़ा भी सकते हैं।

कल्पवास के शुरुआत करने से पहले श्रद्धालु तुलसी और शालिग्राम की स्थापना कर पूजन अर्चन करता है और अपनी कुटी के बाहर जौ का बीच रोपित करता है जिसे कल्पवास की समाप्ति के बाद वह अपने साथ ले जाता है, जबकि तुलसी को गंगा में प्रभावित कर दिया जाता है।

कहीं वेदों पुराणों में कल्पवास से जुड़े तथ्यों का उल्लेख किया गया है। ऐसा माना जाता है कि प्राचीन समय में प्रयागराज पूरी तरह से घने जंगलों से घिरा हुआ था, यहां सिर्फ भारद्वाज ऋषि का आश्रम हुआ करता था। भगवान ब्रह्मा ने यहां यज्ञ संपन्न किया था, तभी से लेकर अब तक इस देव भूमि पर साधुओं सहित गृहस्थों के लिए कल्पवास करने की परंपरा चली आ रही है। प्राचीन पुराणों के अनुसार इस माह में स्नान करने से भगवान विष्णु को पाने का मार्ग मिलता है। मत्स्य पुराण के अनुस्वार जो व्यक्ति ब्रह्मलोक की प्राप्ति करना चाहता है उसे माघ मास में ब्राह्मण को ब्रहमावैवर्तपुराण का दान करना चाहिए।

Magh Mela 2022 Prayagraj UP

प्रयागराज में  माघ मास के दौरान देश- दुनिया के कोने-कोने से श्रद्धालु कल्पवास करने या इस प्रक्रिया को जानने पहुंचते हैं। कल्पवासी बड़ी ही श्रद्धा से सांसारिक जीवन को छोड़ कड़कड़ाती ठंड में संगम के किनारे जप- तप, कीर्तन- प्रवचन करते हैं। मिनी कुंभ के दौरान जगह-जगह कल्प वासी और साधु-संतों के ढेरों के कारण एक अलग ही रौनक छाई हुई होती है। कल्पवास करने से श्रद्धालु को पुण्य की प्राप्ति होती है साथ ही उसका आध्यात्मिक विकास होता है, उसका पूरा कायाकल्प हो जाता है और उसे अपने रोगों व अविचारों से भी मुक्ति मिल जाती है।

ये थी कल्पवास वास को लेकर विस्तृत जानकारियां।




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