What is the meaning of Gupt Navratri | गुप्त नवरात्री के अद्भुत शक्तिशाली | Gupt Navratri Kab Hai

What is the meaning of Gupt Navratri | गुप्त नवरात्री के अद्भुत शक्तिशाली | Gupt Navratri Kab Hai

नवरात्रि हम भारतीयों का सबसे पसंदीदा त्योहार है क्योंकि यह हर क्षेत्र में अपने -अपने तरीके से मनाई जाती है गुजरात में जहां नवरात्रि की शान गरबा है, तो वहीं बंगाल में देवी पूजा, इतना कुछ तो आप भी नवरात्रि के बारे में जानते होंगे, पर क्या आपने कभी गुप्त नवरात्रि के बारे में जानना चाहा है, अगर हां तो यह वीडियो आपके लिए ही है।


नवरात्रि एक पवित्र पर्व है, यह शक्ति के नौ रूपों की उपासना करने का सबसे अच्छा समय माना जाता है। नवरात्रि में रात्रि शब्द सिद्धि का प्रतीक है, इन 9 दिनों में माता के भक्त इच्छापूर्ति  के लिए पूजा अनुष्ठान करते हैं। 1 साल में चार नवरात्रि आती है और यह ऋतु परिवर्तन के समय मनाई जाती है। नवरात्रि पोष, चेत्र, आषाढ़ और अश्विन मास में मनाई जाती है। इन 9 दिनों में शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि महागौरी औऱ सिद्धिदात्री, देवी के इन नौ रूपों की पूजा की जाती है। चैत्र मास की नवरात्रि को बड़ी नवरात्रि और अश्विन मास की नवरात्रि को छोटी नवरात्रि कहते हैं व आषाढ़ और माघ मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है और वसंत या चेत्र व शारदीय या अश्विन नवरात्रों को प्रत्यक्ष नवरात्रि कहते हैं। गुप्त नवरात्रि नाम की तरह ही गुप्त होती है इसलिए उसके बारे में बहुत ही कम लोगों को ज्ञात होता है।

Magha Gupt Navratri 2022

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गुप्त का मतलब है छुपा हुआ, इसलिए इस नवरात्रि में गुप्त विधाओं की शुद्धि हेतु साधना की जाती है। इस नवरात्रि में तांत्रिक साधना का महत्व होता है। तंत्र साधना को गुप्त रूप से ही किया जाता है इस कारण से यह गुप्त नवरात्रि कहलाती है। देखा जाए तो आम नवरात्रि की तरह ही गुप्त नवरात्रि में भी देवी मां के रूपों की पूजा- उपासना की जाती है, परंतु यह विशेषकर तांत्रिक क्रियाओं औऱ शक्ति साधना आदि से जुड़े लोगों के लिए महत्वपूर्ण होती है। देवी भागवत के अनुसार, गुप्त नवरात्रि में 9 दिनों का संकल्प लेते हुए पहले दिन यानी प्रतिपदा के दिन घट स्थापना होती है, उसके बाद सुबह- शाम दोनों समय मां दुर्गा की पूजा होती है, लेकिन जिस तरह नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की साधना की जाती है। इस नवरात्रि में अन्य नवरात्रि की तुलना में साधक बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं। गुप्त नवरात्र के दौरान तंत्र साधना से जुड़े लोग दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति के लिए माँ काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, बगलामुखी मातंगी, मां धूमावती, त्रिपुर भैरवी और कमला देवी की पूजा करते हैं।

गुप्त नवरात्रि अन्य नवरात्रि से अलग इसलिए भी है क्योंकि इस नवरात्रि से सात्विक साधना के साथ-साथ तांत्रिक साधना भी जुड़ी रहती है। इस नवरात्रि में नृत्य, उत्सव नहीं मनाया जाता, ना ही कोई प्रचार प्रसार किया जाता है। अन्य नवरात्रि वैष्णव की कहलाती है जबकि यह नवरात्रि शैव और शाक्तों की मानी जाती है। अन्य नवरात्रि की प्रमुख देवी मां पार्वती मानी जाती है, जबकि गुप्त नवरात्रि की प्रमुख देवी मां काली को माना जाता है।

बसंत और शारदीय नवरात्रि सामान्य लोगों के लिए होती है बल्कि गुप्त नवरात्रि संतों और साधकों के लिए होती है। गुप्त नवरात्रि अन्य नवरात्रि की तुलना में अधिक लाभकारी भी मानी जाती है।


पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय ऋषि श्रृंगी भक्तजनों को दर्शन दे रहे थे, तभी अचानक भीड़ में से एक स्त्री निकलकर आई और ऋषि से बोली कि मेरे पति हमेशा बुरी आदतों से घिरे रहते हैं, जिस कारण में पूजा- पाठ नहीं कर पाती हूं, मेरे पति मांसाहारी है, जिस कारण में माता दुर्गा की सेवा भी नहीं कर पाती हू ,महिला की दुविधा सुन ऋषि ने उसकी भक्ति भावनाओं से प्रभावित होकर उसे गुप्त नवरात्रि के बारे में बताया और कहा कि इस नवरात्रि में जो भी माता दुर्गा की पूजा साधना करता है उसका जीवन सफल हो जाता है। उस महिला ने ऋषि के वचनों को सुन गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की उपासना करना शुरू कर दिया और फिर देखते ही देखते  उसके घर में सुख शांति आ गई और उसका पति भी सही रास्ते पर आ गया।




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